["मेरा अनुभव"]
अनुभव क्रमांक: (१७३), प्रकाशित दिनांक: १३ नोव्हेंबर २०१६
【"सेवक शब्द का पालन कर सकता है, तो शब्द दे, अन्यथा अपने ही शब्दों में ना फसे"】
मेरा नाम 'बाळा निळकंठजी नंदनकर' है। आज मैं 'मेरा अनुभव' इस अनुभव मालिका मे दैवी शक्ति का तिसरा अनुभव पेश कर रहा हूँ।
आज के अनुभव से सेवक परिवार ने परमेश्वर को दिए गए शब्दों का पालन करने से इच्छा की पूर्ति होती है, अन्यथा शब्दों का सार्थक आचरण नहीं करने से अनपेक्षित मुश्किले आती है। अनुभव के माध्यम से सेवक परिवार में किसी भी प्रकार की परिस्थिति निर्माण हो तो स्वयं आकलन करके भगवत कार्य के माध्यम से अपनी समस्याओं का निराकरण कर सकते हैं।
क्योंकि बाबा जुमदेवजी ने स्वयं कहा है कि, "सेवक शब्द का पालन कर सकता है, तो शब्द दे, अन्यथा अपने ही शब्दों में ना फसे"।
★ अनुभव १:
मैंने भगवान बाबा हनुमानजी और महान त्यागी बाबा जुमदेवजी को योग मांगकर दि. ६ जुलाई २०१५ को नयी गाड़ी खरीदी।
गाड़ी घर आने के बाद मैंने परमेश्वर को शब्द दीए थे की, "मैं अपणे पूरे परिवार के साथ परमात्मा एक आश्रम मौदा जाऊँगा" लेकिन मेरी ड्यूटी के कारण मुझे समय नहीं मिल रहा था। मेरे दिए गये शब्द भगवान के सामने झूठे ठहेर रहे थे। मैंने अपने पत्नी को भी इस बात की जानकारी दी की, "मेरे साथ ऐसा क्यू हो रहा है"? पत्नी के कहने के अनुसार मैं जब भी सुबह की विनंती करता था, उस समय भगवान को एक ही विनंती करता था की, "भगवान बाबा हनुमानजी मुझे अपने परिवार के साथ मौदा आश्रम आना है और मैंने आपको शब्द दिये है, इसकारण मेरे शब्द खाली न जाते हुये मुझे मौदा आश्रम में आने की अनुमति देने की कृपा करे"।
मुझे दि. १८ मई २०१६ को भगवान बाबा हनुमानजी की कृपासे मौदा जानेका अवसर मिला और मैने अपने पूरे परिवार के साथ स्नेहमीलन और वन भोजन का आनंद लिया।
★ अनुभव २:
उसी तरह मेरी दूसरी गलती यह है कि, अपने परमात्मा एक मानवधर्म युवा सेवक ग्रुप का स्नेहमीलन और रक्तदान शिबिर का कार्यक्रम दि. २८ अगस्त २०१८ को आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में मैं अपने पूरे परिवार के साथ गया था।
चर्चा बैठक का कार्यकम बाबा की कुटी में आयोजित किया था। स्नेहमीलन और चर्चा बैठक में बहुत सेवक-सेविका और बालगोपाल आये थे। बाबा के कुटी मे चर्चा बैठक के समय मंडल के अध्यक्ष और संचालक आये थे और कार्यक्रम की शुरुवात हुयी। बाबा के कुटी में पंखे न होने के कारण बहुत गर्मी हो रही थी, यह नजारा देखकर मुझे बहोत बुरा लगा।
मैने इसकी पूरी जानकारी श्री. जीवन दादा पाटिल को दी और बताया कि, "मेरी इच्छा है कि बाबा के कुटी में रोज अपने सेवक-सेविका और बालगोपाल आते है किन्तु यहाँ एक भी पंखा नहीं लगा है, मेरी इच्छा से मै बाबा के कुटी के लिये २ पंखे दान देना चाहता हूँ"। जीवन दादा ने मुझे मार्गदर्शन करके मंडल के अध्यक्षजी से इस बारे में बात करने के लिये बताया। चर्चा बैठक का कार्यक्रम समाप्ति के बाद मैने अपनी इच्छा अध्यक्षजी को बताई और उन्होंने मुझे अनुमती दी।
लेकिन देखो किसी को शब्द देने के बाद भगवान अपने सेवक की परीक्षा किसी भी रूप में आकर लेता है।
शब्द दीए की मै २ पंखे बाबा के आश्रम को दान करूंगा। लेकिन इसी बीच मैने एक ज़मीन का सौदा किया था और जमीन की नोंदणी के लिये मैने पुरे पैसे खर्च करके अपने पास कुछ भी नहीं बचाया था और बाबा को दिए शब्द को अनदेखा कर दिया।
जब से मैने जमीन का सौदा करके जमीन की नोंदणी करके अपने नाम किया, उसी दिन से मेरे पास पैसौ की बहुत कमी होने लगी। पैसा मेरे पास रहता ही नहीं था, जो पगार मिलता वह जल्दी ही ख़त्म हो जाता था। मुझे मेरी गलती का अहसास होने के बाद मै भगवन बाबा हनुमानजी और महान त्यागी बाबा जुमदेवजी को रोज अपनी गलती की क्षमा मांगता था।
मुझे योग मिला जब महान त्यागी बाबा जुमदेवजी की पुण्यतिथि का कार्यक्रम भवन में दि. ३ अक्टूबर २०१६( इस दिन मेरे छोटे बेटे अभय का जन्मदिन भी आता है ) को था, उस वक़्त भगवान बाबा हनुमानजी और महान त्यागी बाबा जुमदेवजी को विनंती किया कि, "बाबा मेरे हाथ से जो भी गलती हुई है, उस गलती की क्षमा मांगता हूँ और जल्द से जल्द मेरे शब्द को साकार करे"। उसी प्रकार से दि. १५ अक्टूबर २०१६ को भवन में कोजागिरी का कार्यक्रम था, उस वक़्त भी परमेश्वर से योग मांगकर अपनी गलती के लिये क्षमा मांगी।
योग देखो, भगवान बाबा हनुमानजी ने मुझे कैसा योग दिया! पैसे मेरे पास कुछ भी नहीं थे और परमेश्वर को योग मांग रहा था। मै जब कोजागिरी कार्यक्रम से अपने परिवार के साथ घर वापस आया और हम सब सो गये, तब मेरी निंद सुबह ५ बजे खुली, क्योंकी मोबाईल में मेसेज आया था, उसकी आवाज सुनकर मेरी निंद खुल गई और देखा तो मेरे बैंक खाते में २६,००० रुपये जमा हुये, वह २६००० रुपये इन्कंम टैक्स रिटर्न के जमा हुए थे।
सुबह उठ कर बाबा के सामने विनंती करके भगवान बाबा हनुमानजी को कहने लगा, "बाबा आपकी कृपा बहुत निराली है उसके लिए बहोत बहोत धन्यवाद"।
दूसरे दिन अपने पत्नी के साथ २ पंखे लेकर आया और उसके २ दिन बाद श्री रवि दादा मेश्राम, कामठी इनके घर त्याग का हवन कार्य और चर्चा बैठक में गया। वहा अन्य सेवकगण जयेश दादा, राम दादा, रूपेश दादा, रोशन दादा, पूर्वी ताई भी मिले थे। चर्चा बैठक के बीच में अध्यक्ष की अनुमति लेकर मौदा आश्रम में जयेश दादा, राम दादा के साथ जाकर बाबा के आश्रम को २ पंखे दान के स्वरूप में दिये।
मानव धर्म में परमेश्वरी कृपा २४ तास जागृत है इसलिए महान त्यागी बाबा जुमदेवजी के दिये गये ४ तत्व, ३ शब्द और ५ नियम का पालन अपने जीवन में हमे करना बहुत जरुरी है।
लिखने में भुलवश कोई गलती हुई है तो "भगवान बाबा हनुमानजी" एंव "महानत्यागी बाबा जुमदेवजी" इनसे क्षमा प्रार्थी हूँ।
नमस्कार...!
सेवक:- बाळा नीळकंठजी नंदनकर
पता:- गट नंबर ६, बाळा भाऊ पेठ, नागपुर
सेवक क्रमांक:- ४२९६९
मार्गदर्शक:- श्री. चुडामनजी मोहाडीकर
परमपूज्य परमात्मा एक सेवक मंडल वर्धमान नगर, नागपूर
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सौजन्य:-
"सभी सेवक-सेविका"
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खूप सुंदर अनुभव बाळा दादा
ReplyDeleteनमस्कार जी दादा व ताई
खूपच सुंदर अनुभव दादा सर्व सेवक सवीका सर्वना नमस्कार जी
ReplyDeleteRahul kawet
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